SCAM : PMGDISHA योजना में अवैध टेंडर ले डकारे करोड़ों, अधिकारियो का हों सकता है हाथ ?
इसमें नागरिको को कंप्यूटर, स्मार्टफोन, और इंटरनेट की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है. तथा ईमेल कैसे भेजे, ईमेल रिसीव कैसे करे, ऑनलाइन पेमेंट, सरकारी ऑनलाइन पोर्टल आदि का संपूर्ण प्रशिक्षण दिया जाना होता है।

कानपुर में भ्रष्टाचार : पूरे उत्तरप्रदेश समेत देश भर में (PMGDISHA ) प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (Prime Minister Rural Digital Literacy Campaign) चलाया जा रहा है जिसके तहत देश के ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिको महिला / पुरुष दोनो को इंटरनेट तथा डिजिटल उपकरणों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए “PMGDISHA” के तहत प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें नागरिको को कंप्यूटर, स्मार्टफोन, और इंटरनेट की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है. तथा ईमेल कैसे भेजे, ईमेल रिसीव कैसे करे, ऑनलाइन पेमेंट, सरकारी ऑनलाइन पोर्टल आदि का संपूर्ण प्रशिक्षण दिया जाना होता है , जिसके लिए गांव गांव शहर शहर में बनाए गए सीएससी सेंटरो को यह जिम्मेदारी सौपी जाती है ।
इस योजना के तहत एक व्यक्ति के वेरिफिकेशन से लेकर अन्य तीन चरण होते है जिनके लिए सरकार द्वारा 300 रुपए प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवंटित किया जाता है अन्य तीन चरणों में वेरिफिकेशन के बाद प्रशिक्षण , परीक्षा एवम सर्टिफिकेट दिया जाना अनिवार्य होता है।
बहुत साधारण है स्कैम का तरीका । इनके द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला स्कैम का तरीका साधारण सा होता है इसमें प्राइवेट लोकल्स की एक टीम बनाकर महज गांवो में प्रधान और ब्लॉक अधिकारियो से सेटिंग कर लोगो का वेरिफिकेशन कर लिया जाता है बाकी अन्य कोई काम नही होता, एग्जाम भी इनके एजेंटों द्वारा खुद ही करवा लिए जाते है,जिसमे 70/30 प्रतिशत का फॉर्मूला फॉलो किया जाता है । यही हाल कानपुर के हर ब्लॉक कस्बे का है और आउटर में तमाम ब्लॉक में धडल्ले से अवैध टेंडर ले क्षेत्रीय ब्लॉक अधिकारियो की आंखों में नोटो की पट्टी बांध जमकर सरकारी पैसा आजतक फर्जी कंपनिया ऐठ रही है ।
ऊपर के लोगो का हो सकता है स्कैम में हाथ। पूरे प्रकरण में गैर कानूनी तरीके से कई बाहरी लोगो ने पार्टिसिपेट किया और कई कई आईडी लॉगिन कराई गई जिसमे कानपुर आउटर के तमाम ब्लॉक में महज वेरिफिकेशन कर बिना प्रशिक्षण दिए बिना सर्टिफिकेट दिए 300 रुपए प्रत्येक वेरिफिकेशन पर सीधे बताए गए प्राइवेट कंपनियों के खातों में डलवा दिए जाते है इसी तरह करोड़ों रुपए का घोटाला कर डाला गया , आशंका है की इन सब में किसी बड़े नेता और जिले के तमाम अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है, मामले की उच्चस्तरीय जांच हुई तो पूरा स्कैम निकल कर सामने आ जाएगा ।
महज जानकारी जुटाने के ले लिए सरकार से करोड़ों । हमारे हाथ लगे कुछ दस्तावेजों में लिखे नामो पर जब हमारी टीम ने विजिट किया तब हमे बताया गया की सिर्फ नाम और जानकारी नोट कर लें गए थे बाकी हमे कोई जानकारी नहीं दी गई ना एग्जाम कराए गए , ना ही कोई प्रशिक्षण दिया गया, सर्टिफिकेट के लिए बोला गया था लेकिन वो भी मिल नही सका है । लोकल इलाको के जानकारों ने हमे बताया की इसमें तीन से चार प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी सारे टेंडर अपने पास रखते है और जानकारी लेकर निकल जाते है , ग्रामीणों को कुछ भी पता ही नही चलता , जहा भी लोग जानकारी करते है वहा कैंप बंद कर दिए जाते है ।